सत्य हिन्दू धर्म सभा : आज का विचार :
स्वामी विवेकानंद जागतिक धर्म परिषद् में भाइयो और बहनो कह सके क्यों की वे सत्य हिन्दू धर्मी थे , ब्राह्मण धर्मी नहीं :
स्वामी विवेकानंद जागतिक धर्म परिषद् , अमेरिका में गए और वह अपना धर्म प्रवचन देते हुवे सम्बोधन पर उपस्थित लोगो को भाई और बहनो कहा सके क्यों की वे धर्मात्मा कबीर के अनुयायी और सत्य हिन्दू धाम के अनुयायी थे न की ब्राह्मण वैदिक धर्म के .
हमें जानना होगा की ब्राह्मण धर्म एक अधर्म है और वो पवित्र भाई - बहन के रिश्ते को नहीं मानता . इसका जीता जगाता उदहारण ब्राह्मण अधर्म के प्रणेता खुद ब्रह्मा है जिस ने औरत को केवल भोग वास्तु मन और सभी पवित्र रिश्ते को नकारते हुवे अपनी माँ , बहन और बेटी को एक साथ उपभोग किया . ऐसी वजह से महत्मा फुले ने उसे मादरचोद , बहनचोद , बेटीचोद कहा . क्या ऐसे नीच अधर्म के अजुहा बन कर स्वामी विवेकानद जागतिक धर्म परिषद् में भाइयो और बहनो कह सकते है ? नहीं कदापि नहीं.
विवेकानंद जब अमेरिका गए तो वह उनकी मदत बुद्धिस्ट और जैन लोगो ने की क्यों की वे भी असत्य ब्राह्मण धर्म के खिलाफ रहे है .
धर्मात्मा कबीर ने सत्य हिन्दू धर्म का पुनर्स्थापन किया था और अपनी वाणी बीजक में सत्य हिन्दू धर्म क्या है ये बताया है . यही सत्य हिन्दू धर्म का संहिता या कोड बुक है . सत्य हिन्दू धर्म का यही एक मात्रा ग्रन्थ है . हिन्दू धर्म और भरहीं धर्म अलग अलग है . सत्य हिन्दू धर्म धर्म है , ब्राह्मण धर्म अधर्म है . सत्य हिन्दू धर्म संस्कृति है , ब्राह्मण धर्म विकृति है .
स्वामी विवेकानंद ने ब्राह्मण धर्म और उसे मानाने वाले विदेशी ब्रह्मिनो को उखड कर बहार फेकने की बात कही है .
हमें सब मिलकर उसे पूरा करना है . आज स्वामी विवेकानंद की जायनीति है . इस दिन हम इसका संकल्प लेते है .
स्वामी विवेकानंद जयंती पर सभी को बधाई और मंगल कामनाये !
नेटिविस्ट . डी डी राउत ,
सत्य हिन्दू धर्म सभा
देश को हमारा सन्देश ; जनेऊ छोडो , भारत जोड़ो
स्वामी विवेकानंद जागतिक धर्म परिषद् में भाइयो और बहनो कह सके क्यों की वे सत्य हिन्दू धर्मी थे , ब्राह्मण धर्मी नहीं :
स्वामी विवेकानंद जागतिक धर्म परिषद् , अमेरिका में गए और वह अपना धर्म प्रवचन देते हुवे सम्बोधन पर उपस्थित लोगो को भाई और बहनो कहा सके क्यों की वे धर्मात्मा कबीर के अनुयायी और सत्य हिन्दू धाम के अनुयायी थे न की ब्राह्मण वैदिक धर्म के .
हमें जानना होगा की ब्राह्मण धर्म एक अधर्म है और वो पवित्र भाई - बहन के रिश्ते को नहीं मानता . इसका जीता जगाता उदहारण ब्राह्मण अधर्म के प्रणेता खुद ब्रह्मा है जिस ने औरत को केवल भोग वास्तु मन और सभी पवित्र रिश्ते को नकारते हुवे अपनी माँ , बहन और बेटी को एक साथ उपभोग किया . ऐसी वजह से महत्मा फुले ने उसे मादरचोद , बहनचोद , बेटीचोद कहा . क्या ऐसे नीच अधर्म के अजुहा बन कर स्वामी विवेकानद जागतिक धर्म परिषद् में भाइयो और बहनो कह सकते है ? नहीं कदापि नहीं.
विवेकानंद जब अमेरिका गए तो वह उनकी मदत बुद्धिस्ट और जैन लोगो ने की क्यों की वे भी असत्य ब्राह्मण धर्म के खिलाफ रहे है .
धर्मात्मा कबीर ने सत्य हिन्दू धर्म का पुनर्स्थापन किया था और अपनी वाणी बीजक में सत्य हिन्दू धर्म क्या है ये बताया है . यही सत्य हिन्दू धर्म का संहिता या कोड बुक है . सत्य हिन्दू धर्म का यही एक मात्रा ग्रन्थ है . हिन्दू धर्म और भरहीं धर्म अलग अलग है . सत्य हिन्दू धर्म धर्म है , ब्राह्मण धर्म अधर्म है . सत्य हिन्दू धर्म संस्कृति है , ब्राह्मण धर्म विकृति है .
स्वामी विवेकानंद ने ब्राह्मण धर्म और उसे मानाने वाले विदेशी ब्रह्मिनो को उखड कर बहार फेकने की बात कही है .
हमें सब मिलकर उसे पूरा करना है . आज स्वामी विवेकानंद की जायनीति है . इस दिन हम इसका संकल्प लेते है .
स्वामी विवेकानंद जयंती पर सभी को बधाई और मंगल कामनाये !
नेटिविस्ट . डी डी राउत ,
सत्य हिन्दू धर्म सभा
देश को हमारा सन्देश ; जनेऊ छोडो , भारत जोड़ो
Comments
Post a Comment